कुछ दिन कुछ महीने या कुछ साल, तमाशे सब खत्म होने है, हा फ़र्क सिर्फ इस बात का है, कि कुछ तमाशे खूब भीड़ में होते है, या खूब भीड़ इकट्ठा करते है, और कुछ तमाशों में कम भीड़ होती है, या वो कम भीड़ इकट्ठा करतें, और हा हम यहाँ ये नहीं कह रहे कि, कौन कितना क़ाबिल है। और ये बात भी दीगर है कि कुछ तमाशे होते है और खत्म हो जाते है, तन्हाई में,और खत्म हो जाते है,तन्हाई में, मगर ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं, ऐसे तमाशे न दिखते है न कोई देख सकता है, ये तमाशे तो बस सुनाए जाते है। जब तमाशाई नहीं रहता। जब तमाशाई नहीं रहता।। #रमेश