आज का दोहा नैतिकता को छोड़कर,चलें अनैतिक राह। ईश्वर के भी दंड का, कौन करे परवाह।।१४३।। अर्थ उपार्जन के लिए,चलते कितने चाल। पल भर में कौआ बने,पल में बने मराल।।१४४।। #दोहे #नैतिकता #विश्वासी