हम शायद लिखते लिखते थक जाएंगे, वो सारी बत्तियां जो उसके नाम पर जल रहीं हैं, शायद एक दिन वो भी सारे बुझ जाएंगे। वो सारे "हमें इंसाफ चाहिए" के नारे, शायद एक दिन बंद पर जाएंगे।। शायद एक ऐसा भी दिन आए, जब उसे इंसाफ मिल जाए। पर क्या तुम ये विश्वास दिला सकते हो, की कल हर मां, बहन और बेटी हर जगह बेफिक्र होकर घूम पाएंगी? आधी रात, बिना किसी दरिंदे के हवस की प्यास बुझाने का कारण बने, सुरक्षित अपने घर को लौट पाएंगी? या फिर वो भी निर्भया, आसिफा, प्रियंका और मनीषा जैसे ही किसी दरिंदे कि दरिदंगी का शिकार बन खत्म हो जाएंगी।। #yqbaba #yqdidi #yqdada #stoprape #poem #socialstigma #poetsofinstagram #wordporn