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कहो हाथ क्या पाया है:- चमक रहे ये शीश महल स्वर्ण स

कहो हाथ क्या पाया है:-
चमक रहे ये शीश महल स्वर्ण से सजाया है,
बेसक बाजी जीती, एक अलग पहचान बनाया है|
तेरे मेरे केे रिश्ते में, बहुत खोया कुछ ही पाया है,
अब कहो हाथ क्या आया है|

बनाये जो बंधन उम्र सारी बीत जाती है,
आँखों देखा आशिया, कल तेरा हो जाता है|
लोभ में फंस कर, कितने रिश्तों को झूठलाया है
अब कहो हाथ क्या आया है|

राज करने को यहाँ, एक-दूजे को तोड़ रहे है,
हीरे को त्याग कर, स्वर्ण को खोज रहे है|
लूटी जो दुनिया, पुराने रिश्ते याद आये है
अब फिर से बहुत कुछ हाथ पाये है|

©Rakhi jha पुराने रिश्तों की अ  Shayar Abhiraaj Kashyap Sagar Thakor Shristi Yadav yàdáv jí pratham yadav
कहो हाथ क्या पाया है:-
चमक रहे ये शीश महल स्वर्ण से सजाया है,
बेसक बाजी जीती, एक अलग पहचान बनाया है|
तेरे मेरे केे रिश्ते में, बहुत खोया कुछ ही पाया है,
अब कहो हाथ क्या आया है|

बनाये जो बंधन उम्र सारी बीत जाती है,
आँखों देखा आशिया, कल तेरा हो जाता है|
लोभ में फंस कर, कितने रिश्तों को झूठलाया है
अब कहो हाथ क्या आया है|

राज करने को यहाँ, एक-दूजे को तोड़ रहे है,
हीरे को त्याग कर, स्वर्ण को खोज रहे है|
लूटी जो दुनिया, पुराने रिश्ते याद आये है
अब फिर से बहुत कुछ हाथ पाये है|

©Rakhi jha पुराने रिश्तों की अ  Shayar Abhiraaj Kashyap Sagar Thakor Shristi Yadav yàdáv jí pratham yadav
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