मैं कवियों से प्रेरित तुम न समझो मेरी वाणी हर बात में एक अंदाज़ नया हर अंदाज़ में नई कहानी कुछ कहता हूँ कुछ लग जाती है बिन मतलव दिल पर चूब जाती है दिशा तीर भी, बदल भले लें पर इसकी दिशा का कोई पता नहीं बहुत कटीली, बहुत ही पैनी हाँ बहुत कड़क है मेरी ज़ुबानी मैं कवियों से प्रेरित तुम न समझो मेरी वाणी हर बात में एक अंदाज़ नया हर अंदाज़ में नई कहानी शब्दो का ही खेल है सारा किस बात पे जीता और किसपर हारा कितना सोचूं कितना बोलूं कुछ बातों को मैं कभी न तोलूं बरछी-छैनी हथियार पुराने नए समय की है नई कहानी में कवियों से प्रेरित तुम न समझो मेरी वाणी हर बात में एक अंदाज़ नया हर अंदाज़ में नई कहानी 32