किसान खून पसीना सींच रहा पर,भटक रहा ना राह से देखो हलवाहा के हल से कैसे,धरा से उगता है सोना देखो भरी दुपहरी में हलधर जो,चीर रहा धरती को देखो अन्नदाता हैं कहते जिसको,आज मरता हर लम्हा देखो हैं नही अकेला इस खेत में,बीज बोते उस बच्चे को देखो इस भूमिपुत्र हलवाहा के,भविष्य की छोटी झलक को देखो जिन आशाओं से जोत रहा है,उस आशा की पीड़ा को देखो तरस रहा हर बूंद बूंद को,इंद्र के बढ़ते कहर को देखो खूब अनाज है उगा रहा पर,सोता है भूखा ही देखो इस महंगाई के मारे को,उधारी में जीवन जीता देखो #WOD #किसान #earth #farmer #india #nojotohindi #nojoto #poetry #kavita