सब ने माना गरीबी के नाम पर अनगिनत घोटाला हुआ 1996 में एक अद्भुत घोटाला देश में चारा घोटाला हुआ क्या इस मामले में निष्पक्ष सही अब तक इन्साफ हुआ या "दिगभ्रमित" हुए हम-सब अभी तक नहीं साफ हुआ बेशब्र झुर्रियाँ पड़ी चेहरे पर कुछ का 'लीला' साफ हुआ हर बार नये-नये घोटाले में सरकारी खजाना साफ हुआ कमिटियाँ बनी जाँच हुआ, रुपया का पता ना साफ हुआ चलते- चलते सोचा कानून के लम्बे हाथ क्या खाक़ हुआ सबके बच्चे सुखी हैं सिर्फ बाप का वक्त "सर्पकाल" हुआ सबने देखा "बाबा" के सृजित "विधि" का क्या हाल हुआ ©Anushi Ka Pitara #पढ़ें #जरुर #और #सोचे