मैं भावविभोर होकर आदमी के किंचात मन से डरता हूं। जो ना हो ऐसा तो अपने मन से करता हूं । मैं डरता नहीं मैं जग से,जग हंसाई से बचता हूं। मैं भावविभोर होकर आदमी के किचांत मन से डरता हूं । ©piyushagrawal #innocent