मिलकर आप से मेरे इश्क़ की शुरुआत हो गई। खुशकिस्मत है जो आप से यूँ मुलाकात हो गई। जाने क्या खास था उस मुलाकात में हमदम। आँखों-आँखों में ही खो जाने की बात हो गई। क्या खूब उस रब की इनायत मेरे साथ हो गई। बिन बरखा और बादल के जैसे बरसात हो गई। क्या हसीन इत्तेफ़ाक़ था हम दोनों का मिलना। याद न आया कब सुबह गुज़री कब रात हो गई। उन लम्हों में हमने जैसे कुछ सदियाँ गुज़ार ली। ऐसा लगा जैसे उस रब की कोई करामात हो गई। वर्षों इंतज़ार किया था इस लम्हें का हमने सनम। जाने कैसे वो पल आया प्यार की शुरुआत हो गई। ♥️ Challenge-817 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।