ज़िंदगी की ये जो झाँकी है आधी गुजरी आधी बाकी है इस अदृश्य रथ में सवार एक साथ तो सब हो चले पर ये सड़क कहाँ को जाती है पूछना अभी बाकी है वो जो दूर प्रतीत होती मंजिल सी सब आँखों की जालसाजी है ज़िंदगी की ये जो झाँकी है आधी गुजरी आधी बाकी है 🍁विकास कुमार🍁 ज़िंदगी की झाँकी...