इंसान ने धन दौलत कमाई चार दिवारी घर नहीं हवेली बनी हर तरफ पैसा ही पैसा छा गया मोल भाव करने लगा रिश्तों का होता अगर बस में तो खरीद लेता रिश्ते पेसो से !!! अफ़सोस की ऐसी कोई दुकान ना बनाई ऊपरवाले ने बस गवाया तो इंसान ने रिश्ते धन दौलत की आड़ में ©neha lawaniya रिश्ते#पैसा#बिकते रिश्ते