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#OpenPoetry हवाओं में है कुछ नशा सा छाया ,, मौसम

#OpenPoetry हवाओं में है कुछ  नशा सा छाया ,,
मौसम इसमे बदनाम ना हो
बारीश में बैठ के रोया हूँ मैं
आँशु इनमें गुमनाम ना हो ।। 
बूंदो में उतर कर अश्कों के
मेरे कितने जज़्बात बहे 
जो बरसों से थे मेरे शंग
वो भी गम उनके साथ बहे
कल खुद में raj था खोया खोया
अब वैसी फिर से शाम ना हो 
बारीश में बैठ के रोया हूँ मैं
आँशु इनमें गुमनाम ना हो ।। #OpenPoetry
#OpenPoetry हवाओं में है कुछ  नशा सा छाया ,,
मौसम इसमे बदनाम ना हो
बारीश में बैठ के रोया हूँ मैं
आँशु इनमें गुमनाम ना हो ।। 
बूंदो में उतर कर अश्कों के
मेरे कितने जज़्बात बहे 
जो बरसों से थे मेरे शंग
वो भी गम उनके साथ बहे
कल खुद में raj था खोया खोया
अब वैसी फिर से शाम ना हो 
बारीश में बैठ के रोया हूँ मैं
आँशु इनमें गुमनाम ना हो ।। #OpenPoetry
rajdiaries4766

raanjha

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