#OpenPoetry हवाओं में है कुछ नशा सा छाया ,, मौसम इसमे बदनाम ना हो बारीश में बैठ के रोया हूँ मैं आँशु इनमें गुमनाम ना हो ।। बूंदो में उतर कर अश्कों के मेरे कितने जज़्बात बहे जो बरसों से थे मेरे शंग वो भी गम उनके साथ बहे कल खुद में raj था खोया खोया अब वैसी फिर से शाम ना हो बारीश में बैठ के रोया हूँ मैं आँशु इनमें गुमनाम ना हो ।। #OpenPoetry