बिखरी जुल्फों की तरह संवारा था मुझे, गुमनाम वादियों से पुकारा था मुझे। आज कहकर चले गए हम एक जात के नही, जब जिश्म मिल रहे थे राज, तुमने ही जान पुकारा था मुझे।। 143244 तिलक राज बिघाणा ©Tilak Raj Bighana #Tilak_Raj_BIGHANA #Shayar #Shayari #together #intjar