|| श्री हरि: ||
61 - मल्ल युद्ध
'दादा, मैं तुझसे लडूंगा।' श्याम के लिए यह नयी बात नहीं है। श्रीदाम, भद्र, सुबल आदि उसे प्रायः पटकनी दे देते हैं। सखाओं से द्वन्द्व करके तो हारने में और हारकर भी अपने को विजयी तथा जयी को पराजित बताकर चिढ़ाने में आनंद है। द्वन्द्व में जीतता तो कन्हाई दाऊ से ही है। वैसे वह भी समझता है कि तोक को जैसे सब जयी बना देते हैं, वैसी ही जय उसकी भी है।
'अच्छा आ।' दाऊ जानता है कि उसके इस सुकुमार छोटे भाई को दूसरे मल्ल क्रीड़ा में बहुत थका देते हैं।
पटुके उतारकर दोनों ने एकत्र रख दिए हैं। उनके ऊपर ही रख दी मालाएँ, वेत्र, श्रृंग और मुरली। अलकें समेटकर बांध ली। कछनी कसकर पूरी कछनी कर ली गई। अब दोनों ने ताल ठोंकी। #Books