किस्से कहानियों में तुझसे रूबरू होना आदत है मेरी रब से हमेशा तेरी खुशी माँगना सच्ची इबादत है मेरी तेरे दीदार से कभी रुख़सत ना होना मुंतशिर है मेरे लिए फ़िर भी रुख़सत होना ख़्वाहिश है, चाहत है मेरी तेरी गुत्थियों की जेल में हर पल उलझा हुआ है ये कैदी इनसे रिहा ना होकर इन पर ही फ़िदा होना ज़मानत है मेरी तू ही मंज़िल है, तू ही है सफर इस अन्ज़ान मुसाफ़िर का तुझपे कुर्बान मेरी जान मेरी जान, कुर्बानी शहादत है मेरी हाल-ए-मुसाफ़िर चाहें जो कुछ हो, मंज़िल मिले या ना मिले मेरी इबादत तू, मेरी चाहत हूँ लेकिन तू अमानत नहीं मेरी #kalpana