हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है सिवाय इसके कि इस एक रास्ते पर चलें और यह रास्ता भी कोई आसान रास्ता नहीं है ज्यादातर लोग चूंकि इसे अपना भाग्य मानकर चलते हैं इसलिए उनके लिए ये करना थोड़ा आसान है पर कुछ वे जो लोग मेरी तरह हैं जो अपने हिसाब से चलना चाहते हैं उनके लिए कठिनाईयाँ रास्तों में तो कम उनके अंदर ज्यादा होती है और वो परेशानी ये कि वो ये रास्ता क्यों चुनें क्या सिर्फ इसलिए कि उनके पास चुनने को सिर्फ यही एक रास्ता है या इसलिए कि और दूसरे रास्ते बनाने के लिए उनके पास या तो पर्याप्त संसाधन नहीं है, उनकी कमी है या वो स्वयं में अपर्याप्त हैं, कारण चाहे जो भी हो संसाधन की असमर्थता या स्वयं की दोनों ही अवस्था के उत्तरदायी सारे ये व्यवस्था के नये-पुराने नियामक हैं| ©Rudra magdhey Abhijeet अपर्याप्तता