*📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“7/10/2021”*📝 ✨ *“गुरुवार”*🌟 “यज्ञ की अग्नि” को “शुभ” माना जाता है और वही “चिता की अग्नि” को “अशुभ”, ऐसा भला क्यों ? जहां बात आती है “लक्ष्य”, “विचार” और “संगति” की, देखिए जब हम “यज्ञ” करते हैं तो हमारा “लक्ष्य” क्या होता है, “वातावरण” को थोड़ा और “पवित्र” करना और “सकारात्मकता बनाना”, इसके बाद आते है “विचार रूपी अग्नि” , “एक चिंगारी की भांति” प्रारंभ होती है और सभी “लकड़ियों” को “जला” देती है,“सुगंध” फैला देती है अर्थात आपका “लक्ष्य” शुभ होगा तो वो स्वतः ही “शुभ विचारों” को “आमंत्रण” देगी, ये “शुभ विचार” तब आते है जब आपका “संकल्प” शुभ होता है, दुसरी ओर “चिता की अग्नि” इसका “लक्ष्य” क्या होता है ? किसी देह को वृहधाम पहुंचाना, अंत में सबकुछ आपके “चयन” पर निर्भर करता है, आप क्या “चयन” करते है, यदि आपका “लक्ष्य” शुभ होगा तो आपके “विचार”, आपकी “संगति” और “परिणाम” भी “शुभ” ही होगा.... *“अतुल शर्मा”🖋️📝* ©Atul Sharma *📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“7/10/2021”*📝 ✨ *“गुरुवार”*🌟 #“यज्ञ की अग्नि” #“शुभ”