सावन का रंग जो छाया था। हरियाली से मेरा मन भाया था।। मेरे शहर, मेरे गांव को किसकी नज़र लगी। बारिश की कुछ फुहारों के बाद, गहरी धूप का शाया था। नदिया सुख रही, किसान रो रहे। अरे कही बाढ़ तो कही सूखे का हाहाकार है। इंद्र को कोसे, या बढ़ती नगरिकता को। पेड़ो के छाव से तरसती धरती से कोई पूछ लो।। क्या उसने कभी देखे हैं ऐसे हालत।। मर रही मानवता, मर रहे रिश्ते, मर गईं बारिश की बूंदे। ©Mr. Infinity Heart felt 😕 No rain in my city past 30 days. Heat is unbearable. Who is responsible for this? #summer #Garmi #norain #sadness #nojotahindi पूजा पाटिल