उसके इश्क़ की तलाश थी मुझे भी एक रोज़ वो खिड़की से झांकती आँखें एक पल में ही यूँ , क़ि दीवाना कर गयी , की अब सोते जागते दिन रात बस वही आँखों के प्रत्यक्ष मानो नृत्य कर रही हो , मानो एक फितूर सा सवार हो गया हो, उस रोज़ भी प्रतिदिन की तरह मैं चांदनी चौक की गलियों से गुजर रहा था । तभी घुँगरू की वो परिचित सी आवाज़ , वो भीनी भीनी बेला की सुंगंध , मानो अपनी और आकर्षित कर रही हो, मैं बेसुध होके उस दिशा में बढ़ता गया , मेरी तलाश खत्म हुई एक ऐसी जगह जिसे सभ्य लोग "रेड लाइट एरिया" कहते है जाने दीजिये मैं अंदर गया तो उन्ही आँखों का दीदार हुआ , मानो बार बार उनसे प्यार हुआ फिर मैंने कुछ न कहा चुप चाप एकटक उन्हें निहारता रहा मानो सब स्तब्ध प्रतीत होरहा हो फिर एहसास हुआ की इश्क़ उन आँखों से आज भी है क्या हुआ वो दुनिया की नज़रों में तवायफ़ है मुझे उसमे मेरे इश्क़ की तलाश और उसके इश्क़ की भी तलाश मुझ पर आकर रुक सी गयी हो मानो और आज 5 वर्ष होगये और आज भी जब भी उनका दीदार होता है हर बार उनसे इश्क़ बेशुमार होता हैँ। Preeti Lata @perceptive_writer #RDV19 uske ishq ki talash #RDV19 उसके इश्क़ की तलाश थी मुझे भी एक रोज़ वो खिड़की से झांकती आँखें एक पल में ही यूँ , क़ि दीवाना कर गयी , की अब सोते जागते दिन रात बस वही आँखों के प्रत्यक्ष मानो नृत्य कर रही हो , मानो एक फितूर सा सवार हो गया हो, उस रोज़ भी प्रतिदिन की तरह मैं चांदनी चौक की गलियों से गुजर रहा था ।