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प्रेम से बढ़कर त्याग जरुरी है, ख़्वाहिशों की भड़कती

 प्रेम से बढ़कर त्याग जरुरी है,
ख़्वाहिशों की भड़कती आग जरूरी है..!

ज़िन्दगी गुज़र जाएगी,
उम्र का लिहाज किये बिन..!

दिन रात अँधेरे उजाले सी ज़िन्दगी में,
रौशन रिश्तों का माघ जरुरी है..!

कर्मों का जोड़ अधर्म को घटा कर,
रखने से ही मिलेगा सुख का सागर..!

उच्च आचरण का गुना,
और अधर्म का भाग जरूरी है..!

पल दो पल के मेहमान है सभी यहाँ,
जब तक ज़िंदा है प्रत्येक स्वर में राग जरूरी है..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #thelunarcycle #tyaag