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भूली बिसरी राहों में मन की गांठे लिए मैं चलती गई

भूली बिसरी राहों में
मन की गांठे लिए
मैं चलती गई 

और पहुंची  

उस हरी दूब पर
जहां से सफर 
शुरू किया था !

Read in caption 👇 भूली बिसरी राहों में
मन की गांठे लिए,
मैं चलती गई 

और पहुंची  
उस हरी दूब पर
जहां से सफर 
शुरू किया था।
भूली बिसरी राहों में
मन की गांठे लिए
मैं चलती गई 

और पहुंची  

उस हरी दूब पर
जहां से सफर 
शुरू किया था !

Read in caption 👇 भूली बिसरी राहों में
मन की गांठे लिए,
मैं चलती गई 

और पहुंची  
उस हरी दूब पर
जहां से सफर 
शुरू किया था।
poojanishad2403

Pooja Nishad

New Creator