भूली बिसरी राहों में मन की गांठे लिए मैं चलती गई और पहुंची उस हरी दूब पर जहां से सफर शुरू किया था ! Read in caption 👇 भूली बिसरी राहों में मन की गांठे लिए, मैं चलती गई और पहुंची उस हरी दूब पर जहां से सफर शुरू किया था।