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2212 2212 2212 2212 मैं मुंतज़िर हूँ मुद्दतों से मि

2212 2212 2212 2212
मैं मुंतज़िर हूँ मुद्दतों से मिलने तू आई नहीं।।
मुझको बिना तेरे सनम ये ज़ीस्त अब भाती नहीं।।

ज़ालिम ये दुन्या छीनती है जो मुझे अच्छा लगा।
आहें ख़ुदा मेरी तू सुन, दुन्या तेरी अच्छी नहीं।।

कोई पता मुझको बताओ यार मेरा है कहाँ।
उसकी ख़बर तेरे जहां में मुझको तो मिलती नहीं।।

क्यों आँधियाँ ये आ रहीं हैं मेरी तरफ़ ही हर दफ़ा।
जलते चराग़ाँ बुझ न जाएं, साज़िशें अच्छी नहीं।।

ख़्वाहिश है मेरी लिक्खूँ अब कोई मुक़द्दस वो ग़ज़ल
जो अब तलक जानाँ, किसी ने भी यहां लिक्खी नहीं।।

तेरी मुहब्बत का मुझे अब हो रहा थोड़ा यकीन।
ग़लती थी मेरी ही मुहब्बत जो तेरी समझी नहीं।।

अच्छा किया जो सोचा तुमने कुछ "सफ़र" अपने लिए।
हाँ, सोचना बारे में अपने होती खुदगर्ज़ी नहीं।। ग़ज़ल धुन: ये दिल ये पागल दिल मेरा, क्यों बुझ गया आवारगी।

#सफ़र_ए_प्रेरित #gazal #philosophy #life #yqbaba #yqdidi 

मुंतज़िर- प्रतीक्षा करने वाला

Ritu Vemuri 
meenakshi rohatgi
2212 2212 2212 2212
मैं मुंतज़िर हूँ मुद्दतों से मिलने तू आई नहीं।।
मुझको बिना तेरे सनम ये ज़ीस्त अब भाती नहीं।।

ज़ालिम ये दुन्या छीनती है जो मुझे अच्छा लगा।
आहें ख़ुदा मेरी तू सुन, दुन्या तेरी अच्छी नहीं।।

कोई पता मुझको बताओ यार मेरा है कहाँ।
उसकी ख़बर तेरे जहां में मुझको तो मिलती नहीं।।

क्यों आँधियाँ ये आ रहीं हैं मेरी तरफ़ ही हर दफ़ा।
जलते चराग़ाँ बुझ न जाएं, साज़िशें अच्छी नहीं।।

ख़्वाहिश है मेरी लिक्खूँ अब कोई मुक़द्दस वो ग़ज़ल
जो अब तलक जानाँ, किसी ने भी यहां लिक्खी नहीं।।

तेरी मुहब्बत का मुझे अब हो रहा थोड़ा यकीन।
ग़लती थी मेरी ही मुहब्बत जो तेरी समझी नहीं।।

अच्छा किया जो सोचा तुमने कुछ "सफ़र" अपने लिए।
हाँ, सोचना बारे में अपने होती खुदगर्ज़ी नहीं।। ग़ज़ल धुन: ये दिल ये पागल दिल मेरा, क्यों बुझ गया आवारगी।

#सफ़र_ए_प्रेरित #gazal #philosophy #life #yqbaba #yqdidi 

मुंतज़िर- प्रतीक्षा करने वाला

Ritu Vemuri 
meenakshi rohatgi