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हमारे बाप-दादा नहीं थे जंगली (कविता अनुशीर्ष

हमारे बाप-दादा नहीं थे जंगली






(कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) हमारे बाप दादा
नही थे कभी जंगली
वे हमेशा रहे सभ्य
और सदा रहे किसी राजा की प्रजा
किसी उन्नत राज के नागरिक।

उधर थे वे लोग
जिनकी ख़ातिर
हमारे बाप-दादा नहीं थे जंगली






(कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) हमारे बाप दादा
नही थे कभी जंगली
वे हमेशा रहे सभ्य
और सदा रहे किसी राजा की प्रजा
किसी उन्नत राज के नागरिक।

उधर थे वे लोग
जिनकी ख़ातिर
shadab6167964817215

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