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बीता बरस सजेंगे फिर से, मैया के दरबार। नवरात्रों म

बीता बरस सजेंगे फिर से, मैया के दरबार।
नवरात्रों में भक्त-वत्सला, दर्शन दें दरबार।।

करत पाप नहीं डर लगै, अब घट भरे लजाऊं।
कैसे तेरी कृपा मिले ये, सोच के अब घबराऊं।।

कन्या नारी मां स्वरूप सब, करै न जो सत्कार।
नर-नारी सब मां स्वरूप हैं, मूर्ख करै तिरस्कार।।

पापा कटैं  दरसन किहे, दान से  धन  सुधराय।
मां चरणों की ओट गहै, जन्म-मरण मिट जाय।।

सच्चा  अनुचर मां का, मां से  सबकुछ जान।
मां की शरण चरण गहे, मां  अंतिम परिणाम।।

🙏 नवरात्रों की शुभकामनाएं!🙏

©Shiv Narayan Saxena #navratri 🙏 नवरात्रि पर शुभकामनाएं.
बीता बरस सजेंगे फिर से, मैया के दरबार।
नवरात्रों में भक्त-वत्सला, दर्शन दें दरबार।।

करत पाप नहीं डर लगै, अब घट भरे लजाऊं।
कैसे तेरी कृपा मिले ये, सोच के अब घबराऊं।।

कन्या नारी मां स्वरूप सब, करै न जो सत्कार।
नर-नारी सब मां स्वरूप हैं, मूर्ख करै तिरस्कार।।

पापा कटैं  दरसन किहे, दान से  धन  सुधराय।
मां चरणों की ओट गहै, जन्म-मरण मिट जाय।।

सच्चा  अनुचर मां का, मां से  सबकुछ जान।
मां की शरण चरण गहे, मां  अंतिम परिणाम।।

🙏 नवरात्रों की शुभकामनाएं!🙏

©Shiv Narayan Saxena #navratri 🙏 नवरात्रि पर शुभकामनाएं.