क्यों आइना देख मेहबूब का तेरे वफ़ा ए हिज्र ना रहा... सजदे उठा करते थे मानो, फ़ज़ी गुलिस्तां बिखेरता समा हो... फिर ऐसा क्या हुआ, जो दर्द ज़ख्म का मर्ज ना मिला और मेहबूब को तेरे इश्क़ का तर्ज ना रहा... arun ✍️... #arunendra#nojoto //sweta_dankhara_11// अमित साहू Sudha Tripathi