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कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें। 👇👇👇👇 विधि के विध

कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें।
👇👇👇👇    विधि के विधान ने अद्भभुत लीला रचाई, ऐसी घड़ी आई बनवास हुआ श्री राम को।
बनना था राम को राजा, सीता को रानी, महलों को छोड़ सब जाना पड़ा वनवास को।

वक्त के आगे दशरथ और स्वयं राम भी हारे थे, सारे ही लग रहे जैसे बेचारे थे।
नियति का लेखा विधाता ने स्वयं ही लिखा था, कोई भी इसे समझ ना पा रहे थे।

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम तो स्वयं भगवान थे, सारी माया उन्हीं की रची थी। 
वनवास तो बहाना था दुनियां को सीख देनी थी, इतिहास भी तो रचाना था।
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👇👇👇👇    विधि के विधान ने अद्भभुत लीला रचाई, ऐसी घड़ी आई बनवास हुआ श्री राम को।
बनना था राम को राजा, सीता को रानी, महलों को छोड़ सब जाना पड़ा वनवास को।

वक्त के आगे दशरथ और स्वयं राम भी हारे थे, सारे ही लग रहे जैसे बेचारे थे।
नियति का लेखा विधाता ने स्वयं ही लिखा था, कोई भी इसे समझ ना पा रहे थे।

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम तो स्वयं भगवान थे, सारी माया उन्हीं की रची थी। 
वनवास तो बहाना था दुनियां को सीख देनी थी, इतिहास भी तो रचाना था।