महाभारत है छीड़ चुकी सत्य - असत्य की धर्म-अधर्म की एक तरफ है कौरव दूजी तरफ से पांडव धर्म की ध्वजा फहराने हर काल में वो कान्हा आता है सादियाँ बीत जाती हैं तब एक युगपुरूष आता है ***युगपुरुष*** सदियाँ बीत जाती है तब एक युगपुरुष आता है क्रांती की शोलों से जलाने सत्य की मशाल दीन-दुखियों के संतप्त ह्रिदय