आईने की अपनी तस्वीर कहां है... पूछॊ,आज़ादी की ज़ंजीर कहां है..। और उसने इस गरज से हाथ छुड़ाया... मॆरे हाथ मॆं तॆरी लक़ीर कहां है..। हमने तो आसमान पर दे सिर मारा... कि,नक़्श-ए-पा की जागीर कहां है..। एक बदन से अपना हिस्सा निकाल के... रख तो दिया लेक़िन वो ज़मीर कहां है..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 गरज