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दुनिया में कितने आश्चर्य हैं, मालूम नही। जिंदगी की

दुनिया में कितने आश्चर्य हैं, मालूम नही।
जिंदगी की मौत से दूरी कितनी है,मालूम नही।।
फिर भी इस संसार से एक लगाव बनाया है।
जन्म से पहले भी था यह संसार, क्या मालूम नही।।
मायावी संसार में,कब तलक गोते लगायेगा बंदे।
एक दिन सब छोड़कर जाना है,क्या मालूम नही।।
आवागमन का चक्र है,एक रोज तो जाना ही है।
यह जग तो मुसाफिरखाना है,क्या मालूम नही।।

©Shubham Bhardwaj
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