शाम और इंतज़ार है अन्यमनस्क सी शक्ल अल्फ़ाज़ की एक शाम और इंतज़ार सदियों का शायद हक़-ए-मोहबत मेरे हिस्से नहीं जलाये है उत्कंठा मुझे विसाल की है इल्म, रहेगी फ़िराक़ दर पे ताले- सी इसके अलावा ज़ीस्त के किस्से नहीं। #nojotohindi#Merikalamserajsargam#विसाल#फ़िराक़#गम#तन्हाई#शाम