मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने अहंकारी रावण का वध करने में सफलता इसलिए भी प्राप्त की क्योंकि सौम्यता तथा सफलता की पूंजी उनके पास थी श्रीराम की इस शांति स्वरूप के चलते सीता जी का विवाह उनसे हुआ मिताली नरेश जनक ने भगवान शिव का धनुष भंग करने वाले से सीता जी के विवाह का संकल्प लिया इसके लिए स्वयंवर आयोजन हुआ उस काल के महारथी एकत्र हुए सभी ने शिव धनुष तोड़ने का प्रयास किया किंतु विफल रहे कथाओं में प्रसंगा आता है कि ऐंकारी रावण भी धनुष भंग करने आया था लेकिन वह भी असफल रहा अंत में भगवान श्री राम के स्पर्श करते ही शिव धनुष टूट गया ©Ek villain #rain जीवन में शांति