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मैं जब संवार कर आती हूं, तुम पर अपने नखरे जताती हू

मैं जब संवार कर आती हूं,
तुम पर अपने नखरे जताती हूं,
और जब तुम मुग्ध होकर देखते हो,
मुस्कुराकर जब मुझ पर दोबारा दिल फेकते हो,
तुम्हारी शरारतें तुम्हारी आंखों में दिख जाती है,
तुम्हारी नज़र का सैलाब, तुम्हारी ओर बहाती है,
सुनो! जब तुम ऐसे ताकते रहते हो,
बिन छुए ही, तुम बड़ा सताते हो,
ये सब कोई स्वप्निल किस्सा लगता है,
मुझे तुम्हारा साथ अच्छा लगता है,,, ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1088 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
मैं जब संवार कर आती हूं,
तुम पर अपने नखरे जताती हूं,
और जब तुम मुग्ध होकर देखते हो,
मुस्कुराकर जब मुझ पर दोबारा दिल फेकते हो,
तुम्हारी शरारतें तुम्हारी आंखों में दिख जाती है,
तुम्हारी नज़र का सैलाब, तुम्हारी ओर बहाती है,
सुनो! जब तुम ऐसे ताकते रहते हो,
बिन छुए ही, तुम बड़ा सताते हो,
ये सब कोई स्वप्निल किस्सा लगता है,
मुझे तुम्हारा साथ अच्छा लगता है,,, ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1088 #collabwithकोराकाग़ज़

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