मैं किस तरंह भूलूं तेरे अफ़साने को? दर्द बेशुमार हैं मुझको तड़पाने को। धड़कनों में दौड़ती है यादों की चुभन- अश्क़ बेक़रार हैं पलकों में आने को। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय