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एक वक्त दिल सभी से भर जाता है टूट कर इधर उधर बिखर

एक वक्त दिल सभी से भर जाता है
टूट कर इधर उधर बिखर जाता है।

अच्छी लगती थी जिनकी बातें कभी
अब उन्हीं पे गुबार भी उतर जाता है।

अपनों के दिए दर्द नासूर हुआ करते हैं,
ये किसी गैर की हमदर्दी से उभर जाता है।

तोड़े जातें हैं दिल के आशियाने अक्सर
कोई दोस्त मिले सच्चा तो संवर जाता है।

हां अब कहां मिलते हैं दोस्त वो पुराने
दर्द बिना हमदर्द के ही भर जाता है।

कभी चिलमन से देखा कभी आंगन में खोजा
सुकून की तलाश में मन तो डर जाता है।

हर्षा मिश्रा
शिक्षिका
रायपुर

©harsha mishra
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