शैलपुत्री माता का रूप है अडिग पर्वत सा, हर भक्त के हृदय में, है जिनका वास सा। शिव की अर्धांगिनी, करुणा की हैं मूरत, संसार को देतीं हैं प्रेम और सहारा सूरत। वृषभ की सवारी, हाथ में त्रिशूल धार, पर्वतों की बेटी, जो हरती दुख अपार। पहले दिन की देवी, शक्ति का आधार, नवजीवन का संदेश, करतीं साकार। जो भी सुमिरन करे, उनके चरणों में आकर, माता शैलपुत्री उसे करतीं हर संकट पार। नवरात्रि की शुरुआत में, उनका आशीर्वाद पाकर, जीवन में हर दिन हो जैसे उजियारा छा कर। ©"सीमा"अमन सिंह #happyNavratri #banarasi_Chhora