आ तुझे माहोब्बत सीखा दु, फिर तू जब करना बेहिसाबी करना तेरे सारे सोये ऐहसास जगा दु, फिर तू ज़िंदगी भर उसमे महकना। जनता हूँ कुछ पुराने ज़ख्मो से तू डरती है शायद, उन बोझ तले आज भी दबती है शायद। थोड़ा सी थकी होगी उन सवालो के जवाब की तलाश में, कुछ पुरानी बातों की तपिश तुझे आज भी बेसूद करती होगी। पर क्या करूँ😔 जो में कल न रहूंगा शायद, तो आज तेरे दिल को माहोब्बत से भर देने दे, फिर जो भी करना बेहिसाब करना। #1