भयानक मंज़र के बाद सब शांत हो गया, सब शांत हो गया उस काली रात के बाद। उम्मीद के जागने का वक्त हो चला था, सूरज की उन्हीं किरणों के साथ। उम्मीद के जागने का वक्त हो चला था, परिंदो के चहचहाने के साथ। लेकिन वो आवाज़ परिंदो की, कुछ कम सी लगीं आज। दंगे की आग में मकानों के साथ, कुछ घोंसले उनके भी जले होंगे। : pankaj_dongre #delhi_riots2020