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दिन बेवजह भाग रहा,खुशनुमा शाम होनी चाहिए दर्द हद


दिन बेवजह भाग रहा,खुशनुमा शाम होनी चाहिए
दर्द हद से गुज़र गया,मुश्किलें आसान होनी चाहिए

मेरी आँखों में आकर देख लो,हसरतें क्या कह रहीं
सीने में दिल धड़क रहा,इशारों की ज़ुबान होनी चाहिए

बुलंदियाँ अभी छुई नहीं,गिरने का नहीं मलाल है
बेतहाशा सब दौड़ रहे,ज़िदंगी का ये सवाल है

लकीरों से शायद यही,गिला हमको हो गया
जो हासिल नहीं उसकी परवाह है,जो मिला है कहीं पर खो गया

मैं ज़िदंगी को ढूंढ़ रहा,ज़िदंगी भी हमको ढूंढ रही
काली रात गुज़र गई,पूरा अब अरमान होना चाहिए

सफ़र की हद से परे है जो,सच का वहां मुकाम है
जहाँ दिल भारी होने लगे,वहाँ सच का निशान होना चाहिए...
© abhishek trehan



 #दिन #शाम #कालीरात #सच #निशान #manawoawaratha  #zindagikasafar #कविता

दिन बेवजह भाग रहा,खुशनुमा शाम होनी चाहिए
दर्द हद से गुज़र गया,मुश्किलें आसान होनी चाहिए

मेरी आँखों में आकर देख लो,हसरतें क्या कह रहीं
सीने में दिल धड़क रहा,इशारों की ज़ुबान होनी चाहिए

बुलंदियाँ अभी छुई नहीं,गिरने का नहीं मलाल है
बेतहाशा सब दौड़ रहे,ज़िदंगी का ये सवाल है

लकीरों से शायद यही,गिला हमको हो गया
जो हासिल नहीं उसकी परवाह है,जो मिला है कहीं पर खो गया

मैं ज़िदंगी को ढूंढ़ रहा,ज़िदंगी भी हमको ढूंढ रही
काली रात गुज़र गई,पूरा अब अरमान होना चाहिए

सफ़र की हद से परे है जो,सच का वहां मुकाम है
जहाँ दिल भारी होने लगे,वहाँ सच का निशान होना चाहिए...
© abhishek trehan



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