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आज मुद्दतों बाद तेरे शहर से गुजरे हैं हम दिल आज फ

आज मुद्दतों बाद 
तेरे शहर से गुजरे हैं हम
दिल आज फिर 
जोरो से धड़कने लगा है 
कुछ यादों से पर्दा 
सरकने लगा है
बदल गई है 
सारी गलियों की शक्ले लेकिन
वह गली आज भी अपनी सी लगती है 
जो जाती है तेरे घर की ओर
जहां खड़ा होकर 
मैं तेरा इंतजार करता था 
कह ना पाया कभी तुमसे लेकिन 
यह सच है 
तुम्हें प्यार बेशुमार करता था
वह गुलाब आज भी मैंने 
अपनी किताब में संभाल रखा है 
जो गिर गया था कभी 
बालों से तुम्हारे
वह खुशबू आज भी बसी है 
मेरे जेहन में 
जो आती थी हाथ पोछे हुए 
रुमालो से तुम्हारे।
मैं कभी भूल सकता नहीं 
वह शहर ,वह गलियां 
वो तेरे घर का मोड़ 
भले ही दशको पहले छोड़ आया था 
जिंदगी मुड़ गई इश्क से 
जिम्मेदारी की तरफ
समय एक ऐसा भी मोड़ा लाया था

©Dr. Anuradha Gupta
  #muddtonbad