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जिसे भी चाह उसने,उसे ही पाया है, धन,रूप,सौंदर्य सब

जिसे भी चाह उसने,उसे ही पाया है,
धन,रूप,सौंदर्य सबको पाया उसने ।
इक मेरे जज्बातो से अनजाने रहे वो,
यूँ ही रखी बेरूखी बस मुझसे उसने ।
फकत मेरी मोहब्बत,दुआ का असर है,
खुद को बेहतर शायर बनाया उसने।

©Advocate Suraj Pal Singh DELHI
जिसे भी चाह उसने,उसे ही पाया है,
धन,रूप,सौंदर्य सबको पाया उसने ।
इक मेरे जज्बातो से अनजाने रहे वो,
यूँ ही रखी बेरूखी बस मुझसे उसने ।
फकत मेरी मोहब्बत,दुआ का असर है,
खुद को बेहतर शायर बनाया उसने।

©Advocate Suraj Pal Singh DELHI