कभी लेती बलाएँ है कभी लोरी सुनाती है नजर मुझको न लग जाए नजर टीका लगाती है बुराई लाख चाहे पर मेरा कुछ कर नहीं पाती मैं घर से जब निकलता हूँ दही चीनी खिलाती है #kavyapankh3