तुम सुबह से मेरी शाम, शाम से तुम मेरी सुबह हो गयी, तुम कशिश,मरासिम, कब नज़्म-ए-आम हो गयी..!? तुम अज्ज़ा-ए-इमां,खूबसूरत समाँ हो गयी... देख ओ महज़बीन, मैं कायल तेरी, मुद्द्तों बाद,घायल हुईं !! मेरी आरज़ुएँ फड़फड़ाती हैं,तेरी चाहत में.. मेरी साजिशें घबराती है, तेरी उल्फ़त में... मैं तड़पती हूँ एक तेरी ख्वाहिश में.. मैं मरती हूँ रोज़ कई दफ़ा, एक तेरी मोहब्बत में.. सुन ओ महज़बीन, ये तारे ये ज़मीन ऐहतिराम से तुझमें क़याम हैं सारे.. मेरा कर तू एतिमाद, मैं तेरे पीछे हूँ बर्बाद आ समेट ले,लिपट ले मैं डूबी किनारे... देख ओ महज़बीन, मैं कायल तेरी,मुद्द्तों बाद, घायल हुईं,, तू चाहत थी मेरी देख ओ महज़बीन, तू मेरी अब तलब हुईं !! और मैं तेरे एक पीछे बर्बाद हुईं !! आबाद हुईं !! -@alpana🦋_writeups Dedicating a #testimonial to ❤महाकाल दीवानी❤👆ऊपर लिखी पंक्तियाँ, मेरा लिखा,गाना है, या फिर कह लो कवाली है,,, तो इसे उसी तरह लेना,, ये मेरी तुम्हारे लिए छोटी सी भेंट है,,, तुम्हारे जन्मदिन पर,,, And you can say,,, This song is dedicated to you,,,Kuku के धड़कते हुए दिल की हर धड़कती हुईं धड़कन से,,, 💚💚,,, 💚💚,,, Dedicating a #testimonial to ❤महाकाल दीवानी❤ Wishing you a very 💚💚,,, Happy Birthday Dear,,, 💚💚