मेरी यादों की राहगुज़र में शामिल हो तुम इस कदर, रहते हो हमारे ज़हन में मौजूद शाम-ओ-सहर। अब किसी और राह जाने की हम सोचते भी नहीं, ये तुम्हारी मोहब्बत का हुआ है हम पर असर। ✒Rashmi Ki Kalam Se 🏵🏵लेखन संगी।🏵🏵 *।।यादों के रहगुज़र।।* " दिलशाद के शिकायतों से न,कभी भी मोहब्बत की तौहीन नहीं होती, मेरी यादों के रहगुज़र तेरे गिले-शिकवों के बगैर बेहतरीन नहीं होती।