मेरे मालिक मुझे बता दो ना इतनी बड़ी सजा दो तुमने मेरा पालन किया फिर ऐसी सजा क्यूं दिया। चंद रुपयों की खातिर को मुझको मरने को सौंप दिया हमने समझा अपना तुमको तुमने तो खंजर घोंप दिया। अब चलवा कर छुरी मूझपे तुम मांस मेरा ही खाओगे काश मैं पहले समझा होता तुम ही मुझको मरवाओगे । मेरी तड़प पर तुम काफिर खुशिया और पर्व मनाओगे फैसला होगा जब तेरा मेरा तुम भी मारे काटे जाओगे । काफिरों खुदा बड़ा न्यायी है, सूद समेत कर्म फल दाता है, करो सब रूहों पर रहम तुम, ये संदेश कलमा कहलाता है। ✍️✍️✍️ विकास यादव 🇮🇳🇮🇳🇮🇳 इलाहाबाद विश्वविद्यालय ©Vikas Yadav # बकरीद