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सच क्या है ? ( अनुशीर्षक में पढ़े ) सच ये है की...

सच क्या है ?
( अनुशीर्षक में पढ़े ) सच ये है की...मैं हूँ इस लिये तुम हो। सच ये है की मेरे दोनों हाथ मिट्टी में अब तक सने है ,इस लिये तुम दो वक़्त का खाना खा पाते हो। सच ये है की हम तुम्हारी तरह माटी को माथे से नहीं बल्कि सीने से लगाते है। सच ये है की सूखे से ग्रस्त होने के बावजूद ,मैं अपनी खून जलाता हूँ...इस लिये तुम्हें सहुलियत मिलती है बुद्धिजिवियों की तरह बातें करने की ,विचार करने की ,विमर्श करने की ,राजनीति करने की।सच ये है की मैं अपना पेट काट कर तुम्हारा पेट भरता हूँ ताकि तुम भूखे ना मरो और बदले में तुम क्या करते हो..?? हमारे प्रदेश को सूखा घोषित कर...हमें ही दर-दर की ठोकरें खाने को विवश करते हो। सच ये है की तुम्हें और इस देश के हर शख्स को सुबह उठते ही हाथों में भोजन की थाली चाहिये...जरा पूछिये उनसे...इस भोजन को उन तक पहुँचाने में जान किसकी जा रही है ?...हमारी...हमारे किसान भाईयों की...ये सच है...मेरा..तुम्हारा..सब का...सच..!!!
#जयकिसान #dard #sach #yqbaba #yqdidi #yqtales #stories
सच क्या है ?
( अनुशीर्षक में पढ़े ) सच ये है की...मैं हूँ इस लिये तुम हो। सच ये है की मेरे दोनों हाथ मिट्टी में अब तक सने है ,इस लिये तुम दो वक़्त का खाना खा पाते हो। सच ये है की हम तुम्हारी तरह माटी को माथे से नहीं बल्कि सीने से लगाते है। सच ये है की सूखे से ग्रस्त होने के बावजूद ,मैं अपनी खून जलाता हूँ...इस लिये तुम्हें सहुलियत मिलती है बुद्धिजिवियों की तरह बातें करने की ,विचार करने की ,विमर्श करने की ,राजनीति करने की।सच ये है की मैं अपना पेट काट कर तुम्हारा पेट भरता हूँ ताकि तुम भूखे ना मरो और बदले में तुम क्या करते हो..?? हमारे प्रदेश को सूखा घोषित कर...हमें ही दर-दर की ठोकरें खाने को विवश करते हो। सच ये है की तुम्हें और इस देश के हर शख्स को सुबह उठते ही हाथों में भोजन की थाली चाहिये...जरा पूछिये उनसे...इस भोजन को उन तक पहुँचाने में जान किसकी जा रही है ?...हमारी...हमारे किसान भाईयों की...ये सच है...मेरा..तुम्हारा..सब का...सच..!!!
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satyamkumar6034

Satyam Kumar

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