इन आंखों को इल्म नहीं है कि कितनी दिलनशी हैं इस मुस्कान को पता नहीं कि कितने फ़िदा हैं इस पे ये जो खुली किताब सी दिखती है ज़रा पढ़ कर तो देख लो कोई हर सफे पे कुछ टूटे हुए कलम से बिखरी स्याही में लफ़्ज़ लिपटे हैं समझो उसके अर्थों को तो लग जायेगा पता कुछ बातें अनकही ही रहें तो अच्छा है ©Dr Supreet Singh #Beautiful_Eyes