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वो अपने को ना देख, दुसरो पर ऊंगली उठाता है पर भूल

वो अपने को ना देख, दुसरो पर ऊंगली उठाता है 
पर भूल जाता है वो शायद ,उसको भी कोई उंगली दिखाता है |

वो अपने हद में ना रहकर, दुसरो पर सवाल उठाता है 
वो इन्सान होकर भी, इन्सानियत को भूल जाता है |

माँ -बांप को आश्रम छोड़, खुद एेशो आराम से रहता है
उनके ही बनाए घर को, उनसे ही दूर कर देता है |

खुद की उसे परवाह है, सबकी वो कहां मानता है 
वो कब परिवार को, अपने परिवार  समझता है |

अमीरी की भूख ने उसे इतना बड़ा कर दिया, की 
बड़ो की इज्जत भी अब वो कहां करता है |

by:-akshita jangid 
(poetess) 

 इंसानियत  #nojoto#tst
#nojotohindi
#iansaan#poetry
#kavishala#kalakaksh
वो अपने को ना देख, दुसरो पर ऊंगली उठाता है 
पर भूल जाता है वो शायद ,उसको भी कोई उंगली दिखाता है |

वो अपने हद में ना रहकर, दुसरो पर सवाल उठाता है 
वो इन्सान होकर भी, इन्सानियत को भूल जाता है |

माँ -बांप को आश्रम छोड़, खुद एेशो आराम से रहता है
उनके ही बनाए घर को, उनसे ही दूर कर देता है |

खुद की उसे परवाह है, सबकी वो कहां मानता है 
वो कब परिवार को, अपने परिवार  समझता है |

अमीरी की भूख ने उसे इतना बड़ा कर दिया, की 
बड़ो की इज्जत भी अब वो कहां करता है |

by:-akshita jangid 
(poetess) 

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