खामोशी समेटे हो, तुम अपने हिस्से की मैं अपने हिस्से की, एक रोज़ बाज़ार में बेंच आयेंगे ये खामोशियां, और बदले में ले आएंगे बेगैरत के शोर-शराबे, साथ ही आएगा इनसे लिपटा हुआ खालीपन जो तुम्हारे और मेरे से शुरू हो कर पनपेगा हम सबके चेहरों पर, जिसका ना कोई रंग होगा ना कोई ढंग होगा, आहिस्ता आहिस्ता पूरे बदन में उतर जाएगा थोड़ा टूटेगा और खालिक हो बिखर जाएगा, जो ना कभी किसी गज़लों में लिखा जा सकेगा ना किसी नज़्म में ढाला जा सकेगा । #life #silencespeaks #nazm #unison #yourquote #yourquotebaba #yourquotedidi #yourquotehindi 🌸