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मेरी रूह में शामिल है तू हद से बेहद तक, मेरी आरज़

मेरी रूह में शामिल है

तू हद से बेहद तक, मेरी आरज़ू में शामिल है।
तुझे पाने की कोशिश, मेरी जुस्तजू में शामिल है।

इससे भी ज़्यादा, मैं और कितना, तेरा हो जाऊॅं,
तू सर से लेकर पाॅंव तक, मेरी रूह में शामिल है।

तुझे मालूम नहीं, मेरी खुदा से बातें होती हैं,
तुझे पाने की ख़्वाहिश, मेरी गुफ़्तगू में शामिल है।

मेरी शिद्दत पर शक करने की ज़रूरत नहीं है,
तेरी चाहत, तेरा इश्क़, मेरे ज़ुनूॅं में शामिल है।

ये हवाऍं ही बता देती हैं, तू कहीं आस पास है,
तेरे जिस्म की महक, मेरी ख़ुशबू में शामिल है।

मैं ज़िन्दा रह पाऊॅंगा या नहीं, ये अब तुझपर है, 
मेरी ज़िन्दगी अब तेरी, हाँ और हूॅं में शामिल है।


संजीव सिंह ✍️ #sanjeevsingh

#Star
मेरी रूह में शामिल है

तू हद से बेहद तक, मेरी आरज़ू में शामिल है।
तुझे पाने की कोशिश, मेरी जुस्तजू में शामिल है।

इससे भी ज़्यादा, मैं और कितना, तेरा हो जाऊॅं,
तू सर से लेकर पाॅंव तक, मेरी रूह में शामिल है।

तुझे मालूम नहीं, मेरी खुदा से बातें होती हैं,
तुझे पाने की ख़्वाहिश, मेरी गुफ़्तगू में शामिल है।

मेरी शिद्दत पर शक करने की ज़रूरत नहीं है,
तेरी चाहत, तेरा इश्क़, मेरे ज़ुनूॅं में शामिल है।

ये हवाऍं ही बता देती हैं, तू कहीं आस पास है,
तेरे जिस्म की महक, मेरी ख़ुशबू में शामिल है।

मैं ज़िन्दा रह पाऊॅंगा या नहीं, ये अब तुझपर है, 
मेरी ज़िन्दगी अब तेरी, हाँ और हूॅं में शामिल है।


संजीव सिंह ✍️ #sanjeevsingh

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