वैसे कहने के लिए सब साथ है पर, कोई वक़्त पर साथ देने नहीं आता । इन बदले- बदले से रिश्तों में, कोई बिना स्वार्थ के नहीं आता। छोड़ कर अपना सुख, अपना आंनद, कोई किसी को मुसीबत से निजात दिलाने नहीं आता। जिसपे होता है अटूट भरोसा कभी कभी, वो भी दर्द में दिलासा देने नहीं आता। उम्मीद की किरण खुद को खोजनी है, अंधेरी राह में अब कोई दीपक जलाने नहीं आता। ख्वाहिश रखते हो जिंदगी में उजालों की तो खुद को जलाओ, यहां कोई किसी की रोशनी बन के जलने नहीं आता। --सरस.kushwha27jl ✍️♥️ (सरू) #कोई_नहीं_आता #life_poetry